जिन्दगी की डूंडी-बंगी
ऊबड़-खाबड़ सड़क पर
भगणी च मनिख शरीर की ‘बस’,
उछल-कूद मचाणी
धक्का-मुकि खाणी।
जीर्ण-शीर्ण ह्वेगे ‘बॉडी’
ढिल्ल ह्वेगें इन्द्रियोंक ‘नट’, ‘बोल्ट’
तीड़ि गी खुटुक ‘टायर’
फिर बिदहाड़नु च अहम्...
‘धर्मार्थ काममोक्षणामारोण्यं मूलमुन्तमम्’ इस शास्त्रोक्त कथन के अनुसार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष हेतु आरोग्य सम्पन्न शरीर की आवश्यकता होती है। पंचगव्य एक ऐसा...
आर्यावर्त (भारतवर्ष) उत्सव प्रधान देश है। प्रत्येक वर्ष में छ: ऋतुओं में ऋतु परिवर्तन के अवसर पर विभिन्न उत्सव जैसे वसंतोत्सव, शरदोत्सव, ग्रीष्मोत्सव आदि...
सिंधुदेशोद्भव आंगीरस गोत्रोत्पन्न भगवन गुरु-महर्षि कर्दम की तृतीय पुत्री श्रद्धा देवी का पुत्र है। इनके पितृवर महर्षि अंगिरा जी हैं। इनका जन्म वृहस्पति है।...