सामग्री-
- मूंग या गहथ: 200 ग्रा0
- प्याज: 50 ग्रा0
- टमाटर: 2
- लहसुन,अदरक: 1 चम्मच पिसा
- जीरा: 1/2 चम्मच
- नमक: 1/4 चम्मच
- घी: 2 चम्मच
- हींग: चुटकी भर
- हरा धनिया: 50 ग्रा0
बड़ी का साग बनाने की विधि
- बड़ी मूंग या गहथ किसी की भी दाल की बनाई जा सकती हैं।
- दाल को रात भर भिगोकर पीस लिया जाता है।
- पिसी दाल में नमक, मिर्च, हींग मिलाकर छोटे छोटे गोले बनाकर तल लिया जाता है।
- किसी दूसरी कढाई में तेल गर्म करके जख्या का छौंक लगाते हैं।
- इसके बाद प्याज, टमाटर भून लेते हैं।
- प्याज, टमाटर भुन जाने के बाद उसमें स्वादानुसार सभी मसाले डाल लेते हैं।
- मिश्रण के खौल जाने के बाद इसमें बड़ी डालकर खौला लिया जाता है। बड़ी पकने पर उपर की ओर आ जाती हैं।
- खौलने के बाद इसे धनिये से सजाकर परोसा जाता है।
पोषक मूल्य- बड़ी के साग में निम्न पोषक तत्व पाए जाते हैं।
- प्रोटीन- गहथ की दाल की बनी होने के कारण इस व्यंजन में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। क्योंकि सभी प्रकार की दालें प्रोटीन की अच्छी स्रोत होती हैं।
- आयरन- इसमें आयरन की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। इस व्यंजन को लोहे की कढ़ाई में बनाया जाता है इस कारण इसमें आयरन की मात्रा और अघिक बढ जाती है।
- कार्बोहाडेट – दालों में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाडेट पाया जाता है।
- वसा- बडी के साग को मुख्य रुप से घी के साथ बनाया जाता है। इस कारण पौष्टिकता और अधिक बढ जाती है। घी में संतृप्त प्रकार की वसा पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है।
- रफेज- बडी में दाल के छिलके भी होते हैं इस कारण यह रफेज का अच्छा स्रोत हैं।
- विटामिन- दालों में कुछ मात्रा में विटामिन भी पाया जाता है। टमाटर के कारण विटामिन सी की मात्रा बढ जाती है।
- जल- हमारे शरीर में पानी का कुछ अंश भोजन से भी जाता है चाहे वह किसी भी प्रकार का हो क्योंकि भोजन बनाने में पानी का प्रयोग किया जाता है।
नोट- भिगोयी हुई दाल को पीस कर स्वादानुसार नमक, मिर्च, गरम मसाला डालकर बड़ी बनाकर धूप में सुखाकर रखा जाता है। जिनका प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर कभी भी किया जा सकता है। इसका प्रयोग उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष भर किया जाता है।
बेहतरीन जानकारी