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Friday, March 31, 2023
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा स्वास्थ्य के लिए फलों का उपयोग

स्वास्थ्य के लिए फलों का उपयोग

ईश्वर ने मानव स्वास्थ्य को अक्षुण बनाये रखने के लिये जहां विभिन्न खाद्य पदार्थों का निर्माण किया है वहीं अनेक फलों एवं कन्दमूलों को भी इस धरा पर पैदा किया है। इन फलों में विभिन्न प्रकार के जीवनीय तत्व विद्यमान होते हैं। जहां इन फलों का प्रयोग स्वास्थ्य बढ़ाने के लिये किया जाता है वहीं इनमें विद्यमान औषधीय गुणों के कारण अनेक रोगों की निवृत्ति के लिये भी इनका प्रयोग किया जाता है।

  1. केला– यह एक सुपरिचित उपयोगी फल है। अपक्व केला मधुर, शीतल, ग्राही, भारी, स्निग्ध, कफ-पित्त, रक्त विकार, जलन एवं वायुनाशक है। पका हुआ केला शीतल, विपाक में मधुर, वीर्यवर्द्धक, पुष्टि कारक, रुचि कारक, मांस को बढ़ाने वाला, भूख की पूर्ति करने वाला, प्रमेह, नेत्र रोग, प्यास, रक्तपित्त, उदर रोग, हृदय शूल, प्रदर रोग एवं पित्त रोगों को नाश करने वाला होता है।

खाली पेट केला कभी नहीं खाना चाहिये। पका हुआ केला अपने आप में एक अच्छा भोजन है। केले की जड़, स्वरस, बीज, पत्ते, फूल सभी भागों में विभिन्न कठिन रोगों जैसे मूत्र विकार, प्रदर तथा अतिसार में आश्चर्यजनक लाभ होता है।

2. सेब– सेब का फल वात पित्त नाशक, पौष्टिक, कफ निवारक, विपाक में गुरु रस में मधुर शीतल रुचिकारक एवं वीर्यवर्द्धक होता है। कहा गया है कि जो मनुष्य प्रतिदिन एक सेब खाता है उसे डाॅक्टर की कभी आवश्यकता नहीं पड़ती है। सेब के सेवन से नाड़ियों एवं मस्तिष्क को शक्ति मिलने के कारण यह स्मरणशक्ति की दुर्बलता, उन्माद, बेहोशी तथा चिड़चिड़ेपन में भी अत्यन्त गुणकारी है। यह पथरी एवं यकृत विकार में भी अत्यन्त उपयोगी है। सेब को कच्चा खाने से जीर्ण तथा असाध्य रोगों में लाभ होता है। यदि किसी को कब्ज हो तो वह छिलके सहित सेब का सेवन करे। सेब में विटामिन -सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसलिये यह फल अत्यन्त उपयोगी फलों की श्रेणी में आता है।

  1. आम– यह अत्यन्त प्रसिद्ध फल है। कच्चा आम रस में कषाय होता है तथा वात एवं पित्त वर्द्धक है। पका हुआ आम, मधुर, स्निग्ध, बल तथा शुक्रवर्द्धक होता है। आम की बौर शीतल, रुचिकारक, ग्राही, वातकारक, अतिसार, कफ, पित्त, प्रदर दृष्टि और रुधिरनाशक है।

पाल में पके हुये आम में जीवनीय शक्ति पाई जाती है। आम का रस दूध के साथ पीने से शक्तिजनक तथा वीर्यवर्द्धक होता है। आम के अत्यधिक सेवन से मदाग्नि, विषम ज्वर, रक्तदोष, मलबद्धता एवं नेत्र रोग उत्पन्न हो सकते हैं। अतः अधिक आम नहीं खाना चाहिये। यह दोष खट्टे अथवा अपक्व आम में देखे जाते हैं। पके हुये आम में प्रचुर मात्रा में विटामिन-ए एवं विटामिन-सी पाया जाता है।

  1. जामुन– यह सामान्य किस्म का फल है, किंतु रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। जामुन कई प्रकार की होती है। बड़ी जामुन, स्वादिष्ट, विष्टम्भी, रुचिकारक एवं गुरु होती है। छोटी जामुन ग्राही, रुक्ष, पित्त एवं कफ दोष तथा रक्त विकार एवं दाहनाशक है। जामुन की गुठली का चूर्ण मधुमेह में अत्यन्त लाभकारी है।

  2. अनार- अनार (दाड़िम) मधुर, कषाय एवं अम्ल-रस युक्त होता है। सामान्य रूप से अनार मलरोधक, वातनाशक, ग्राही, जठराग्नि को उद्दीप्त करने वाला, स्निग्ध तथा हृदय के लिये पौष्ठिक है। यह हृदय रोग, कण्ठरोग तथा मुख की दुर्गन्धि को नाश करने वाला होता है। इसमें विटामिन-बी एवं विटामिन-सी पाया जाता है। स्नायु शूल, शीत तथा रात्रि में अनार का सेवन नहीं करना चाहिये। अनार का रस, आन्त्र, यकृत, आमाशय तथा कण्ठ रोगों में लाभकारी है। इसे ज्वर, दस्त एवं टायफाइड में पथ्य रूप में देना लाभदायक है।

  3. पपीता– पपीता मधुर शीतल तथ पाचक होता है। यह सुपाच्य एवं मूत्रविकार में लाभदायक होता है। खासकर मधुमेह के रोगियों के लिये यह अत्यन्त उपयोगी फल है। पपीते के दूध को रासायनिक विधि द्वारा सुखाकर पपेन प्राप्त किया जाता है।

  4. शहतूत– पका हुआ शहतूत स्वादिष्ट, शीतल, रक्तशोधक, मलरोधक तथा पित्त एवं वातनाशक कहा गया है। शहतूत वर्ण भेद से अनेक प्रकार के होते हैं जैसे काले, लाल, सफेद तथा हरे। शहतूत के पत्ते रेशम के कीड़ों को खिलाये जाते हैं। चारपाई पर शहतूत के पत्ते बिछाये जाएं तो खटमल भाग जाते हैं। शहतूत का अम्ल, पित्त एवं रक्तपित्त में भी प्रयोग किया जाता है।

  5. नींबू– नींबू की करीब दस-ग्यारह प्रजातियां पाई जाती है। सामान्यतः नींबू अम्ल रस युक्त वातनाशक, दीपक पाचक और लघु होता है तथा बल प्रदान करने वाला भी होता है। बिजोरा नींबू कास, श्वास, अरुचि, रक्त-पित्त तथा तृषानाशक होता है। चकोतरा नींबू स्वादिष्ट, रुचिकारक, शीतल, भारी तथा रक्तपित्त, क्षयकास, श्वास, हिचकी एवं भ्रमनाशक होता है। जाम्बीरी नींबू, उष्ण, गुरु, अम्ल तथा वात, कफ-दोष, मलबन्ध, शूल, खांसी, वमन, तृषा, मुख की विरसता, हृदय की पीड़ा, अग्निमाघ एवं कृमिनाशक है।

इस प्रकार फल जहां जीवनीय शक्ति की वृद्धि करते हैं वहीं अनुपान भेद से विभिन्न रोगों का भी शमन करते हैं।     

डॉ0 चन्द्रमोहन बड़थ्वाल, कोटद्वार
से.नि जिला आयुर्वेदिक/यूनानी अधिकारी

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