बेवजह दिल न किसी का दुखाया जाय।
तितली को फूल से हरगिज न उड़ाया जाये।।
प्यार ही प्यार हो नफरत न जहां हो कोई।
दोस्तों एक शहर ऐसा बसाया जाये।।
दिल का हर राज बता देता है चेहरा सबको।
लाख सच्चाई को दुनिया से छुपाया जाये।।
इस तमन्ना में कि शायद मिले हमदर्द कोई।
किस्सा-ए-गम भला किस-किस को सुनाया जाये।।
फूल तो मेरे मुकद्दर में नहीं हैं लेकिन।
चलिए कांटों से ही दामन को सजाया जाये।।
काम बस जिनका है इल्जाम तराशी ‘आलम’।
आईना उनको भी इक रोज दिखाया जाये।।