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Monday, June 5, 2023
कविता और ग़ज़ल ग़ज़ल महकी हुई हवाओं की मानिन्द आ गए - ग़ज़ल

महकी हुई हवाओं की मानिन्द आ गए – ग़ज़ल

महकी हुई हवाओं की मानिन्द आ गए।

चुपके से आए, आके ख्यालों पे छा गए।।

हलचल सी एक होने लगी है वजूद में।

सोई हुई ख्वाहिश फिर से जगा गए।।

नज़रें उठा-उठा के झुकाना वो बार-बार।

मत पूछिए वो क्या-क्या सितम हम पे ढा गए।।

लगने लगी है अब तो हमें जिन्दगी हसीन।

लगता है हम को जीने के अंदाज आ गए।।

शायद, इसी को प्यार कहा करती है दुनिया।

वो देखते ही देखते दिल में समा गए।।

नादानी थी वो मेरी या मौसम का तक़ाज़ा।

बैठे-बिठाए दिल जो किसी पे लुटा गए।।

लगता था आग दोनों तरफ़ है लगी हुई।

अफ़सोस हम न कह सके वो भी छुपा गए।

‘आलम’ न भूल पाएंगे अंदाज़-ए-यार हम।

जब जाते-जाते हौले से वो मुस्करा गए।।

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