जात-पात में मत पड़ो, वर्ण भेद भेद दो,
मनुष्य मात्र एक हो, न किसी में कोई भेद हो।
जाति-धर्म भिन्न-भिन्न खान-पान भिन्न-भिन्न।
भिन्नता में एकता, हो कर्म में भारतीयता।
राम-रहीम एक हैं, स्वरूप उनका एक है
धर्म भले ही भिन्न हो, हो कर्म में भारतीयता।
चाहे राम को भजो, या रहीम से करो दुआ,
इबादत का तौर भिन्न, मुकाम दोनों का एक है।
उस धर्म से हो क्या भला जो धर्म-धर्म से लड़े,
इतिहास में हो नाम अमर, जो मातृभूमि के लिये मरे।
जीवन अमूल्य है, परमपिता की देन है,
इसे किसी कुकृत्य से कलंकित मत करो।
भगीरथ प्रयत्न सा, प्रण और संकल्प लो,
मृत्यु ही सत्य है, सत्य से भय न हो।
परोपकार परमार्थ में जो मनुष्य हैं तरे,
इतिहास में हो नाम अमर जो मातृभूमि के लिये मरे।
By: लक्ष्मीदत्त नौटियाल, भिवाड़ी (राजस्थान)
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