ऐसा कुछ काम करो, अच्छा अंजाम हो,
जीवन सफल बने जग में कुछ नाम हो।
यहां लालच की डोर पर उलझा इन्सान है,
स्वार्थों के दल-दल में डूबा ईमान है।
लालच अरु स्वार्थ का तुम बितान खोल दो,
क्यों बनते हैवान हो तुम तो इंन्सान हो।
ऐसा कुछ………..
जीवन की सरिता के तटबंध खोल दो,
संतप्तता को ममता का क्षीर दो।
बोयेगा तू आम तो आम ही तो खायेगा,
बोयेगा बबूल तो कांटे ही पायेगा।
फूल और कांटों का अर्थ क्या है जान लो,
छोड़ो शैतानियत तुम तो इन्सान हो।
ऐसा कुछ………..
जीवन अरु मृत्यु का संगम संसार है,
जीने का अर्थ तो सच्चा उपकार है।
मत छोड़ राह सत्य की, यह तेरा आधार है,
सत्य ही नहीं तो जग अन्धकार है।
सत्य और असत्य को अब भी पहचान लो,
राम और कृष्ण के तुम ही अवतार हो।
ऐसा कुछ………..
आज हँसते शैतान यहां रोते इन्सान हैं,
तब भी तू झूठा करता अभिमान है।
आया क्यों जग में इसका कुछ भान है,
गीता, कुरान की क्या तुझको पहचान है।
क्यों बनते अज्ञान तुम खुद को पहचान लो,
नानक और गौतम की धरती की शान हो।
ऐसा कुछ………..
यहां खण्डित आस्था झूठा व्यवहार है,
छल और फेरब का फैला कारोबार है।
जो ओढ़ते हैं चादरें उनमें विष का अम्बार है,
छद्म राजनीति का यह दूषित आकार है।
छोड़ दम्भ छद्म को अब देश को उबार लो,
राणा शिवा की तुम ही हुंकार हो।
ऐसा कुछ………..
कर्म और श्रम की क्या कोई पहचान है,
कोई खपता है खेत में कोई महलों की शान है।
जो पूजते हैं श्रम को ओ’ आज भी गरीब हैं,
कुछ इन्हीं का खून पी बनते अमीर हैं।
गांधी के अर्थ को तुम अब भी तो जान लो,
देश के शहीदों के तुम स्वाभिमान हो।
ऐसा कुछ………..
क्या बात है भाव सम्प्रेषण उत्तम है।