32.2 C
Dehradun
Monday, June 5, 2023
व्यंग्य हिंदी व्यंग्य एक मुकदमा और सही

एक मुकदमा और सही

ओ भारत के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों …. उठो जागो और दौड़ो। दौड़ौ अपना-अपना अस्तित्व बचाने के लिये। कुछ देशद्रोही टाइप के लोग देशभक्त का चोला ओढ़े आप सबकी नैया बीच भंवर में डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वे बहुत चालाक हैं। उनकी आंख जनता की आंखों पर रहती है, जो कि सदा दूरदर्शन से चिपकी रहती हैं। वे शातिर शख्स उसी के माध्यम से आप सबकी पोल पट्टी खोल रहे हैं। अपने कार्यक्रमों को आदर्श नाम देकर आपके दलों की बुनियाद पर मोटे ताजे दीमक छोड़ रहे हैं।

वे आप पर आरोप लगा रहे हैं और आरोप भी खुल्लमखुल्ला एक-एक को इंगित कर पूरे देश को बता रहे हैं कि आपकी पार्टी में इतने प्रतिशत अपराधी हैं। आपके इतने और आपके इतने। यह तो आपके साथ सरासर अन्याय है। कम से कम मुल्जिम औ मुजरिम में भेद भी तो देखा जाना चाहिये। हमारे यहां बात-बात पर एफ.आई.आर. ठोकी जाती है और कदम-कदम पर मुकदमा जड़ा जाता है तो इसका यह अर्थ नहीं कि वे सब संगीन अपराधी हो गये जबकि नेताओं के अनुसार अधिकांश अपराध आंदोलनों से जुड़े हैं। अब अगर आंदोलन में कूद कर गिरफ्तार होने से कोई अपराधी घोषित हो जाए तो स्वतंत्रता आंदोलन के सारे सेनानी अपराधी हैं। फिर उन्हें सम्मान की दृष्टि से क्यों देखा जाता है। फिर मान लीजिये कुछ उम्मीदवार अपराधी निकल भी आयें तो अपराध के कारण व परिस्थिति पर भी तो गौर करना बहुत आवश्यक है। संसार में कार्य कारण का सीधा सम्बन्ध नहीं है क्या! जब हर कार्य किसी न किसी कारण से जुड़ा होता है तो उस पर गौर करना आवश्यक तो है ही। हो सकता है अपराध की तह में जाने के बाद अनेक अपराधियों को बाइज्जत बरी करना पड़े। इसके अलावा जो बेचारे जेल की हवा खा कर बाहर आ चुके हैं उन्हें किस आधार पर राजनीति में आने से रोका जाये! प्रायश्चित कर लेने के बाद पापी पापी कहां रहता है। वह तो शुद्ध बुद्ध होकर जीवन के सारे अधिकारों का उपभोक्ता बन जाता है।

अब भी समय है। जाग जाओ नेताओ और एक हो जाओ (यों भी सर्वदलहिताय के संदर्भ में आप अक्सर एक होते आये हैं।) तो देर मत कीजिये। उठ कर एक हो जाइये और एक होकर ऐसे नमकहराम देशद्रोहिशें की सुपारी बाहुबलियों को भिजवा दीजिये (बाहुबली और होते किसलिये हैं।) अंजाम अधिक से अधिक क्या होगा! एक और मुकदमा ठुक जायेगा। तो क्या हुआ! जब अदालतों में इतने मुकदमें विचाराधाीन हैं तो मरे पर एक लात और सही …।

डॉ0 आशा रावत, देहरादून
एम.ए. (राजनीतिक विज्ञान, हिन्दी), बी.एड | पी.एच.डी.‘हिन्दी निबंधों में सामाजिक चेतना’ पर शोध।

Get in Touch

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Posts

खतरों की आहट – हिंदी व्यंग्य

कहते हैं भीड़ में बुद्धि नहीं होती। जनता जब सड़क पर उतर कर भीड़ बन जाये तो उसकी रही सही बुद्धि भी चली जाती...

नतमस्तक – हिंदी व्यंग्य

अपनी सरकारों की चुस्त कार्यप्रणाली को देख कर एक विज्ञापन की याद आ जाती है, जिसमें बिस्किट के स्वाद में तल्लीन एक कम्पनी मालिक...

कुम्भ महापर्व 2021 हरिद्वार

कुंभ महापर्व भारत की समग्र संस्कृति एवं सभ्यता का अनुपम दृश्य है। यह मानव समुदाय का प्रवाह विशेष है। कुंभ का अभिप्राय अमृत कुंभ...

तक्र (मट्ठे) के गुण, छाछ के फायदे

निरोगता रखने वाले खाद्य-पेय पदार्थों में तक्र (मट्ठा) कितना उपयोगी है इसको सभी जानते हैं। यह स्वादिष्ट, सुपाच्य, बल, ओज को बढ़ाने वाला एवं...

महा औषधि पंचगव्य

‘धर्मार्थ काममोक्षणामारोण्यं मूलमुन्तमम्’ इस शास्त्रोक्त कथन के अनुसार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष हेतु आरोग्य सम्पन्न शरीर की आवश्यकता होती है। पंचगव्य एक ऐसा...