उसने फिर शरारत कर डाली।
वह बचपन से ही तेज है
दुष्ट है दुष्ट है
किसी दिन नाक कट वायेगी सारे गांव की, लड़की है या तूफान
बाप रे बाप…।
जाने कितनी बातें गांव वाले कर रहे थे परन्तु इतना निश्चित था कि सभी एक तरह से उसे असीम प्यार करते थे। वह सारे गांव की बेटी थी सबकी आंखों का तारा सबकी खोज खबर खैर चाहने वाली। राजाराम की चार सन्तानों में दो लड़के दो लड़कियों में से दोनों लड़के विवाहित लड़कियां दोनों कुंवारी, बड़ी कमला अठारह वर्ष की। छोटी विमला पन्द्रह वर्ष की उपरोक्त बातें कमला के सम्बन्ध में ही हो रही थी। कमला का मस्तिष्क पता नहीं कैसा था कि उसे ज्यादातर शरारतें ही सूझा करती थी वैसें उसकी शरारतों से किसी को नुकसान नहीं हुआ करता था। परन्तु शरारतें तो शरारतें होती है, शरारतों से किसी न किसी को ठेस तो पहुँचती ही है चाहे बाद में किसी को फायदा भी हो जाय।
परसों जब कमला को मालूम हुआ कि श्यामा के बाप ने श्यामा के लिए श्यामा की मर्जी के खिलाफ एक निहायत ही निकम्मे लड़के को परसों श्यामा को देखने को बुलवाया है तो श्यामा को ढाढस बंधाकर सब कुछ ठीक करने का वचन देकर वह लड़के के आने की बाट जोहने लगी। कल को लड़का बीरू उसका बाप बामदेव अपने दो रिश्तेदारों के साथ श्यामा के गांव की तरफ बढ़ ही रहा था कि रास्ते में उसे कमला अपने दल बल के साथ जिसमें उससे ही कम उम्र के लड़के लड़कियां थी, घेर बैठी।
कमला सारे दल का नेतृत्व कर रही थी आगे बैठी। अनुमान से उसने एक बुजुर्ग को टोका,
‘क्यों चाचा…आप में से….बामदेव जी कौन है?’
‘मैं ही हूं …बेटी….क्या बात है’ बामदेव बोला।
‘नमस्ते जी…तो आप अपने लड़के के साथ श्यामा को देखने आये हैं ना ….।’
‘हां..हां… बामदेव चौंक उठा उसने देखा कि लड़के लड़कियों के छोटे से झुंड ने उन्हें घेर सा लिया था।’
‘चाचा….क्या कहूं …..मैं ही श्यामा हूं…..आप मुझे ही देखने आये हैं….ना देख लीजिये……।’
घर में जाकर तो आपने मुझे देखना ही था मैंने सोचा ….मैं भी तो जरा…आपके …लल्लू ….क्या नाम है इस लल्लू का ….क्यों रे लल्लू ….क्या नाम है तेरा ….कमला ने उस की तरफ इशारा किया।
‘ये है…लड़की …ये क्या बदतमीजी है कौन हो तुम’ बामदेव क्रोधित हो उठा।
‘अच्छा ये बदतमीजी है और तुम लोग लड़की खरीदने जा रहे हो…ये क्या है कमला निडर होकर आँख तरेर कर बोली’
‘लड़की क्या बक रही है बामदेव की सांसे तेज हो उठी’
क्यों रे लल्लू तेरी ही शादी का जुगाड़ हो रहा है …क्यों चुप है…दूसरे गांव से तो तुझे भगा दिया गया था …..दिल्ली में क्या करता है रे …तू …बर्तन मांजता है या गाड़ी वाड़ी साफ करता है। हमने तो सुना है तू उठाईगिरी में एकाध बार बड़े घर की हवा भी खा चुका है बोल रे…मैं ही हूं श्यामा….करेगा मुझसे शादी…पर शादी तो तेरे बाप की भी ना हुई तेरी कैसी होगी रे..।
बीरू को चार नवजवान लड़के घेरे हुए थे …वह चाहकर भी कुछ न कर सकता था उसने सकपकाकर अपने बाप और साथ आये दोनों रिश्तेदारों की तरफ मायूस नजरों से ताका उनसे एक ने हिम्मत जुटाकर कहना चाहा।
‘बेटी ….तुमको किसी ने गलत बताया…।’
तुम चुप ही रहो जी अपनी बुजुर्गो की इज्जत चाहते हो…तो चुप ही रहो हमने इनके सारे खानदान की जन्मपत्री ढूंढ़वायी और पुछवायी है शादी नहीं करनी तुझे…क्यों सांप सूंघ गया है हे….।
बाप रे.. किस विपत्ति में फँस गया …रास्ते भर तो वह सुन्दर सजीले सपने देखता आया था अचानक यह गाज कैसे गिर रही थी वह टुकर-टुकर कमला को देखता ही रह गया।
‘चलो…. वापस….सीधे अपने गांव ..
खबरदार…अगर तुममें किसी ने भी हमारे गांव की तरफ कदम बढ़ाया..सारे गांव के कुत्ते छोड़ देंगे। हमें तुम्हारे बारे में सब कुछ मालूम हो चुका है तुम इसकी पहले भी कहीं से शादी करा चुके हो और उस लड़की का तुमने क्या किया हमें यह भी मालूम है। जेल जाना ही तो शेष रह गया है पर जाओगे तब ही…जब हम तुम्हें छोड़ेगे ना…।’
बामदेव के पैरों के नीचे से धरती पूरी तरह खिसक चुकी थी उन्हें तो उनकी सारी पोल पट्टी मालूम है। पहले से मालूम होता तो भूलकर भी इधर कदम ही नहीं रखता…किसी तरह आज जान छूटे…गंगा माई की कसम फिर भूल से भी वह इस गांव की तरफ देखेगा भी नहीं।
तुम लोग जा रहे हो या हम लोग तुम्हें वापस भेजने लायक करें…एक नवजवान बोल उठा।
ना…ना… हम ही जाते हैं और बामदेव बीरू का दल बेआबरू होकर वापस हो लिया।
फिर श्यामा के घर पहुँचकर कमला ने श्यामा के बाप की खबर ली।
क्यों ताऊ ….तुम्हें तो कुछ करना धरना आता नहीं…चश्मे पहन लिए चमकाते रहतेे हो इनको, घर वालों पर शराब पीकर नशे में श्यामा का रिश्ता करने निकले थे ना….श्यामा का गला ही क्यों नहीं घोंट दिया तुमने …जब इतनी ही भारी पड़ रही थी तो …बामदेव ने अपनी पहली बहू को जलाया था दहेज के लिए …उसने तुम्हें ये नहीं बताया हे …ताई …चुपचाप खड़ी क्यों है। क्यों इतना डरती है शराबी ताऊ से …उठा डन्डा ..फोड़ दे…इस ताऊ का चश्मा।
‘बेटी.. बेटी …माफ कर दो …मुझे माफ कर दे …सचमुच मेरी मति मारी गयी थी ….तू ठीक कह रही है बेटी …उस चंडूल बामदेव ने मुझसे नशे में ही …हां करवायी थी …परन्तु तेरी कसम बेटी …श्यामा की कसम मुझे पता नहीं था…कि उसकी पहले भी शादी हो चुकी थी… मुझे ये सब नहीं बताया था भगवान…तेरा भला करे बेटी तूने आज मुझे गौ हत्या …कन्या हत्या से बचा लिया तू जुग जुग जिये बेटी खूबे अच्छे भले घर में जाय….श्यामा का बाप बुजुर्ग होकर भी कमला के पैरों पर गिरने जैसा हो गया हालांकि उसके मुख से कमला के लिए आर्शीर्वाद वचनों के फव्वारे झड़ रहे थे।
गांव में ईर्ष्या जलन भी होती ही है कुछेक ने कमला के कार्य को सराहा…कुछेक जो श्यामा के परिवार के हित चिंतक न थे, उन्हें कमला का कार्य अच्छा ना लगा। अतः कमला के कार्यों की समालोचना गांव में हो रही थी। कमला के भावजे ने टिप्पणी की श्यामा को तो इसने बचा लिया जब इसके लिए रिश्ता आयेगा क्या करेगी…ये ही जाने …भुगतना तो हममें ही है हम भावजे हैं इसकी।
कमला के लिए रिश्ता आया था पारसौली गांव के सम्पन्न मगर महाकृपण मक्खीचूस साहूकार जमुनालाल के तीसरे लड़के जनार्द्धन के लिये। साहूकार जमुना लाल ने जनार्द्धन के साथ कमला को देखा जनार्द्धन ने कमला से भी बातचीत की, रजामन्दी हो गई। वर का घर सम्पन्न था कमला के भाइयों भावजों व पिता राजाराम ने भी संतुष्ट होकर हां भर ली। बात पक्की हो गई सगाई का दिन निश्चित होना शेष रह गया था परन्तु सगाई होने से पहले ही पारसौली से जमुनालाल जी का संदेशा आया कि बिना लेन-देन के ही बात हुई है। पहले कुछ लेन-देन तो तय हो जाय…बिना उसके तो हमारी इन्कार भी हो सकती है। राजाराम का परिवार सकते में आ गया। भाइयों के मुंह लटक गये भावजें चिंतित हो उठी। कंजूस मक्खीचूस मशहूर जमुनालाल उनको घेरे में ले चुका था। अब यहां से स्वयं इन्कार करना भी उचित प्रतीत नहीं हो रहा था रिश्ते की बात फैल चुकी थी लड़की का मामला था क्या होगा सब परेशान थे और कमला….।
कमला कतई परेशान न हुई उसने पिता भाइयों भावजों से स्पष्ट कहा ‘ आप लोग बेकार में चिन्ता कर रहे हैं मेरे लिए जिसने मुझे देखा है…जो मुझसे बात करके गया है ….जनार्द्धन ….उसने तो ना नहीं की है….उसकी हिम्मत भी क्या ….जो अब इन्कार करे…उसने हमारे यहां हां क्यों की …आप लोग मेरा विश्वास कीजिये…मैं सब ठीक कर दूंगी …जरा सा इतना कीजिये कि लड़के को अलग से यहां किसी बहाने बुलवा दीजिये …..विश्वास रखें मुझ पर जो मैं कह रही हूं उसे कीजिये मेरा नाम भी कमला नहीं….जो अब मैंने ….अपने लिए दिये गये दहेज की एक कौड़ी भी किसी को छूने भी दी …. आप लोगों ने मेरा रिश्ता जहां तय किया हैं वहीं होगा और सिर्फ वही होगा ….और दहेज भी आप लोग केवल इतना ही देंगे जितना आपने स्वयं अपनी इच्छा से आसानी से देना था…एक बात का और ध्यान रखना अब मेरी शादी होगी तो आप मेरे लिए कोई कटगड परगड मत जोड़िये …जो भी देना चाहे जितना भी देना चाहें नगद रूप में उसका मेरे व लड़के का नाम का ड्राप्ट बनवा लेंगे।’ फिर मैं देखती हूं कौन मेरे दहेज की तरफ लालची दृष्टि से देखता है।
कमला द्वारा किये गये पूर्व कृत्यों से आशान्वित होकर जनार्द्धन को उसके सूट आदि की नाप लेने के बहाने बुलवाया गया कमला सीधे जनार्द्धन से मुखातिब हुई…।
‘क्यों जी…रिश्ता तय कर गये …अब काहे की आनाकानी, समझाओ अपने बुजुर्गो को, अब तो रिश्ता तय हो चुका है अब क्या परेशानी है।’
कोई परेशानी नहीं है …हमने इन्कार ही कब किया है मैं तो स्वयं बड़ी बेसब्री से शादी का इन्तजार कर रहा हूं। जनार्द्धन ने अपना पक्ष साफ रखा।
‘आपके पिताजी का संदेशा…दहेज के बारे में’
‘अरे…हां …कमला जी…पिताजी जरा पुराने किस्म के रुढ़िवादी विचारों के है बाकी मेरे भाइयों…मुझे हमें एक पैसे का भी लोभ नहीं है…माफ करना …’ इस बात के लिए हम लोग आप ही लोगों से माफी मांगते हैं उनके सामने हम कुछ बोलने के लिए असमर्थ से हैं। हम उनको नाराज भी नहीं करना चाहते।
हम जानते हैं वे जरा …कंजूस टाइप के आदमी है पैसे को ही सब कुछ समझते हैं परन्तु आप लोगों को इस बात की चिन्ता नहीं करनी चाहिए ….आप लोग निश्ंिचत रहिए …हमें कोई दहेज-वहेज नहीं लेना है। पिताजी को संतुष्ट करने के लिए मैने दूसरा रास्ता निकाला है मेरा पास मेरा अपना भी अलग से काफी पैसा है मैं एक लाख रुपये तक चैक आपको दे देता हूं आप किसी को भी न बताकर इसे दहेज के लिए इस्तेमाल कर लेना।
‘नहीं …..ये कैसे हो सकता है …..आपने ….हमें बिल्कुल भिखारी ही समझ रखा है…कमला ने नाराजगी जताई’
इससे क्या ….भिखारी वाली बात है जब से हमारा रिश्ता तय हुआ है मैं तो आपका गुलाम ही बन गया हूं।
मेरा सारा पैसा…क्या अब मेरा ही मेरा है उस पर तो मैंने उसी दिन से आपका अधिकार भी समझ लिया है। वो पैसा भी कमला जी आपका अपना पैसा है।
चतुर जनार्द्धन ने बातों की आड़ में अपना सारा प्यार स्नेह कमला पर प्रकट कर दिया। कमला सचमुच तिरोहित हो उठी वह अपनी पसंद पर ….जनार्द्धन की सज्जनता पर झूम सी उठी।
मुझे आप पर नाज है मैं सौभाग्यशाली हूं कि आप जैसे को पा सकूंगी मैं आपसे एक विनती करना चाहूँगी ….मेरा इरादा ….किसी को नुकसान पहुंचाना भी नहीं है….आप जरा ध्यान से मेरी बात सुनिये। समझियें अगर मैं ठीक कर रही हूं तो मुझे आपका सहयोग चाहिए।
जनार्द्धन हंसने लगा मैंने सिर्फ आपको पसन्द ही नहीं किया है मैंने आपकी पुरानी सभी आनन्दमयी शरारतों के बारे में पता कर लिया है। मैं समझ गया हूं….।
जब भी किसी ने गलती की अपने उसे शरारत के रूप में न्यायोचित दंड दिया है। मैं आपकी न्यायोचित शरारतों का भी प्रशंसक हूं कहिए मेरे लिए क्या आज्ञा है।
आप शर्मिन्दा कर रहे हैं मैं तो केवल इतना चाहती हूं कि मेरे समस्त क्रिया कलापों पर आपकी सहमति की मुहर हो बिना आपकी इजाजत के मैं तो अब हिल भी नहीं सकती, कमला ने अपना समर्पण भाव प्रदर्शित किया। इसके बाद कमला ने जनार्द्धन को समझाया कि उसके पिता व भाई लोग उसे भरपूर दहेज देने में समर्थ हैं। उसे स्वाभाविक रूप से बहुत मात्रा में दहेज की सामग्री मिलेगी लेकिन उसके पिता जमनालाल जी ने व्यग्र होकर जो लालच दिखाया है उससे वह और उसके पूरे परिवार को ठेस पहुंची है। हम लोग पूरा अच्छा खासा दहेज देने में समर्थ हैं। परन्तु मैं चाहती हूं कि मुझे सामग्री के रूप में कुछ ना मिले जो भी हम लोगों को शादी के दहेज के रूप में खरीदना था मैंने सब रुकवा दिया है। उस पैसे से हम आपके व मेरे नाम का ड्राप्ट चेक बनवा लेंगे ….इस तरह वो पूरा आपके पास भविष्य के लिए भी सुरक्षित रहेगा और ….आपके पिता व मेरे ससुर जी …..उनको ….इसी बात में संतोष करना पड़ेगा कि …..मेरे पास न सही ….मेरे लड़के के पास तो गया।
जनार्द्धन ठठाकर हंस पड़ा ….मैं पहले ही समझ गया था ….मेरे गरीब पिताजी …आपके ….पूज्य ससुर जी ….ओह ….अब की बार आपकी शरारत का निशाना वे ही होंगे ….ठीक है ठीक होना भी चाहिए …..उनको और इससे समाज में दहेज के लोभियों को सबक मिलना ही चाहिए मैं …..पूर्णरूपेण आपके साथ हूं। कमला को जनार्द्धन की सहमति मिल गयी ….जनार्द्धन वापस हो लिया।
पूरे पांच लाख का दहेज देने के वायदे के साथ जमुनालाल जी लड़के की बारात लाने को राजी हुए थे। राजाराम के लड़के ने कमला के कहे अनुसार कार्य किया उन्होंने बूढ़े जमुनालाल को किसी तरह से समझा दिया कि हम लोग व्यवस्थाओं के कारण व टूटफूट से बचने के इरादे से कुछ नहीं खरीदेंगे ….आपकोे शादी के दिन नगद पांच लाल …..सौंप दिये जायेंगे…..पांच लाख का चेक/ड्राप्ट दूल्हे को सौंप दिया जायेगा। जमुनालाल ने सोचा जब कुछ नहीं दे रहे हैं तो चेक/ड्राप्ट में ये कुछ गड़बड़ नहीं करेंगे…..इनकी बेटी इसके बाद तो हमारे ही पास है इसमें वे कोई धोखा नहीं कर सकते थे। चेक/ड्राप्ट लड़के के पास रहे या उनके पास कोई परवाह नहीं ….मेरे लड़के मेरे से बाहर थोड़े ही है। बहरहाल शादी के दिन जमुनालाल खुश था बहुत खुश था बारात की खूब जमकर सेवा हुई। जमुनालाल के सामने ही दिखाकर पूरे पांच लाख का चेक/ड्रप्ट सौंप दिया गया।
जमुनालाल ने असली सन्तोष की सांस ली खूबसूरत बहू व पांच लाल का दहेज ….जमुनालाल के हाथ स्वयं ही अपने सफेद हो चली मूछों की ओर उठ गये।
पूर्ण रूपेण संतुष्ट होकर दिल से राजाराम से गले मिलकर जमुनालाल ने विदाई की। बारात शाम दुल्हन सहित पारसौली पहुंची।
देर रात तक नयी बहू के आगमन की खुशी में गहमागहमी रही जमुनालाल जी प्रसन्नचित से सबसे बहू के मायके का व बहू का गुणगान करते जाते थे। जब रात काफी बीत चली सब सोने चले गये….दूल्हा जनार्द्धन ….दुल्हन के कमरे की ओर भेज दिया गया सबने बाकी ख़ुशियों को सुबह के लिए छोड़ दिया।
और जब सुबह जाग हुई तो जमुनालाल सहित उसका पूरा परिवार आश्चर्य चकित था। दुल्हा दुल्हन का कमरा सुहाग कक्ष खाली था दूल्हा दुल्हन मय अपने साजों सामान के साथ गायब थे जुमनालाल चकित होकर कमरे की ओर बढ़ा था… वहां उसे एक पत्र मिला।
परम पूज्यनीय ससुर जी …. सादर चरण स्पर्श, आशीर्वाद आपका मिल ही चुका है। आप हमारे बड़े हैं हमारा आप हर हाल में भला ही चाहेंगे…. मैं अपने पूज्य पति के साथ व मुझे उनकी सेवा के लिए दिये गये चेक के साथ उनकी सेवा के लिए दिल्ली जा रही हूं। मेरे परिवार वालों ने मुझे आते समय कहा था – कि बेटी वहीं रहना ….जहां तुम्हारा पति रहे सो मैं भी इन्हें के साथ दिल्ली में ही रहूंगी….इनकी सेवा करती रहूंगी आपको जब भी कोई थोड़ी बहुत परेशानी भी हो तो आप दिल्ली हमारे पास ही आ जाइयेगा।
आपकी बहू – कमला
वाह ..बहू ….तुमने तो सचमुच पांच लाख का थप्पड़ मुझे लगा ही दिया ….खैर …..खुश ….रहो…..,खुश ….रहो..आबाद रहो ….सुखी रहो।